भारतीय इतिहास मे पहली बार : NRI रिचर्ड राहुल वर्मा बने भारत में अमेरिकी राजदूत
भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों के हिमायती व असैन्य परमाणु करार पर अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी में अहम भूमिका निभाने वाले रिचर्ड राहुल वर्मा भारत में अमेरिकी दूत के तौर पर शपथ लेकर इस पद पर पहुंचने वाले पहले अमेरिकी भारतीय बन गए हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने यहां विदेश विभाग में 46 वर्षीय वर्मा को शपथ दिलाई. अगले महीने दिल्ली में कैरी की यात्रा के पहले उनके भारत आने की उम्मीद है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि के तौर पर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड में शिरकत करने आएंगे. पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सीनेट ने ध्वनिमत से उनके नाम की पुष्टि कर दी थी. भारत के साथ असैन्य परमाणु करार पर कांग्रेस में मुहर लगाने में वर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. प्रशासन में रहने के दौरान उन्होंने भारत अमेरिका संबंधों की जोरदार पैरवी की और हाल में शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक 'सेंटर फोर अमेरिकन प्रोग्रेस' में 'इंडिया 2020' परियोजना की शुरुआत की. राहुल नैंसी पॉवेल का स्थान लेंगे, जिन्होंने कथित वीजा फर्जीवाड़ा आरोपों पर राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के साथ सलूक को लेकर विवाद के बाद मार्च में इस्तीफा दे दिया था. फिलहाल, नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के नेतृत्व की जिम्मेदारी कैथलीन स्टीफंस पर है. वर्मा का ओबामा के साथ 2008 से रिश्ता रहा है, जब ओबामा सीनेटर थे और उन्होंने राष्ट्रपति पद संबंधी चर्चा तैयारियों पर काम किया था. विदेश विभाग की वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल के मुताबिक, 'प्रतिभाशाली नेता और प्रबंधक के तौर पर उन्हें संघीय सरकार में, निजी क्षेत्र में और गैर सरकारी संगठनों के साथ उच्च स्तरीय नीति पर कई वर्षों के अनुभवी काम के लिए जाना जाता है. खासकर, राजनीतिक-सैन्य संबंधों के साथ ही दक्षिण एशिया और भारत से जुड़े मामले पर उनकी पकड़ है.' वर्मा के माता-पिता 1960 के दशक में अमेरिका आए थे. 'इंडियन अमेरिकन फोरम फोर पॉलिटिकल एड्यूकेशन' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संपत शिवांगी ने कहा, 'यह भारतीय अमेरिकियों के लिए जश्न का दिन है.' विदेश विभाग में शपथ ग्रहण समारोह के लिए कल कुछ चुनिंदा भारतीय अमेरिकी में शिवांगी को भी बुलाया गया था.
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