Saturday 24 January 2015

विंडोज़ 10 लॉंन्च, पहले साल मुफ़्त




माइक्रोसॉफ़्ट ने अपने नए ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज़ 10 को लॉन्च कर दिया है जिसमें पर्सनल कंप्यूटर्स के लिए आवाज़ से नियंत्रित होने वाला सिस्टम कोर्टाना है. यानी यूजर इसके ज़रिए बोलकर कंप्यूटर को निर्देश दे सकता है. कंपनी ने एक हेडसेट भी जारी किया है जो इसके अनुसार एक दिन ऑपरेटिंग सिस्टम को असली दुनिया की तस्वीरों के ऊपर प्रोजेक्ट कर सकेगा. माइक्रोसॉफ़्ट ने यह भी ऐलान किया है कि विंडोज़ 8, 7 इस्तेमाल करने वाले उपकरणों और विंडोज़ फ़ोन पर नए ऑपरेटिंग सिस्टम का अपग्रेड मुफ्त मिलेगा. लॉन्चिंग के एक साल तक मुफ़्त मिलने वाला यह अपग्रेड माइक्रोसॉफ़्ट की प्रमुख अपग्रेड्स के लिए पैसा लेने की नीति में बदलाव है. सबके लिए एक सिस्टम माइक्रोसॉफ़्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्य नडेला ने कहा कि होलोलेन्स हेडसेट ने 'कैटेगरी क्रिएशन' के उस 'जादुई क्षण' को सामने रखा है जिसके लिए डेवलपर्स जीते हैं. सिर पर पहना जाने वाला यह उपकरण आस-पास के परिवेश में ही कंप्यूटर जनित तस्वीरें दिखाता है. कंपनी का कहना है कि इस उपकरण के फ़ाइनल वर्ज़न को किसी अन्य मशीन से जोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और इसे विंडोज़ 10 की समयसीमा में ही जारी कर दिया जाएगा. विडोंज़ 10 सभी उपकरणों के लिए एक ही होगा- चाहे वह कंप्यूटर हो, टेबलेट या फ़ोन या कंपनी का एक्सबॉक्स गेम्स कंसोल.

मक्खियों की मदद से उजागर होंगे मानव मस्तिष्क के रहस्य


फलमक्खी पर किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि नींद, याददाश्त व अभ्यास आपस में गहराई से जुड़े हैं और इससे मानव मस्तिष्क के रहस्यों को उजागर करने में मदद मिलेगी। अध्ययन में सामने आया कि जब फलमक्खी (डोर्सोफिला) के पृष्ठ युग्म मध्यवर्ती (डीपीएम) तंत्रिका को सक्रिय किया जाता है, तो उसे अधिक नींद आती है, लेकिन वहीं जब उसे निष्क्रिय किया जाता है, तो उसके जागने का समय बढ़ जाता है। डीपीएम फलमक्खी में मौजूद याददाश्त समेकनकर्ता (मेमरी कन्सॉलिडेटर) है। ये मेमरी कन्सॉलिडेटर अल्पकालिक स्मृति को दीर्घकालिक स्मृति में बदलने का काम शुरू कर जागृत अवस्था आने से रोकते हैं। मेसाचुसेट्स के वाल्थम स्थित बै्रनदेस विश्वविद्यालय में ग्रिफिथ प्रयोगशाला में स्नातक छात्र बेंथनी क्रिसमैन ने कहा, "फल मक्खी के मस्तिष्क में नींद व स्मृति की गतिविधियां एक ही समय में होने से शोधकर्ताओं को अपना ध्यान मानव मस्तिष्क पर शोध की तरफ केंद्रित करने में मदद मिलेगी।" ये सारी गतिविधियां फलमक्खी के मस्तिष्क के उस भाग में होती है, जिसे मशरूम बॉडी कहा जाता है। यह मानव मस्तिष्क में मौजूद हिपोकैंपस की तरह है, जिसमें हमारी स्मृतियां इकट्ठा होती हैं। अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि अल्पकालिक स्मृति को दीर्घकालिक स्मृति में बदलने में नींद बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। फलमक्खी में नींद तथा याददाश्त किस तरह एक दूसरे से संबंधित हैं, इसकी समझ से मानव मस्तिष्क के रहस्यों को उजागर करने में मदद मिलेगी।

Thursday 15 January 2015

2016 में चीन जैसी होगी भारत की विकास दर


पिछले साल मई में भारत में सत्ता में आई नई सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए उठाए गए कदमों को लेकर उत्साहित विश्व बैंक का कहना है कि भारत 2016-17 में चीन की विकास दर के समान विकास दर हासिल कर लेगा। विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशिक बसु ने बताया कि हमारे आकलन के अनुसार भारत वर्ष 2016 और 2017 में चीन के विकास के समकक्ष पहुंच जाएगा। बसु बैंक द्वारा 'ग्लोबल आउटलुक : डिसअपॉइन्टमेंट्स, डाइवर्जेंसेज एंड एक्सपेक्टेशन्स ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स' रिपोर्ट का हालिया अंक जारी किए जाने के बाद मंगलवार को एक बैठक के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि चीन की विकास दर ऊंची बनी रहेगी, लेकिन वह धीरे-धीरे घटने लगेगी और वर्ष 2017 में 6.9 पर पहुंच जाएगी। विश्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2016 और 2017 के लिए विकास दर 7-7 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान जताया है, वहीं इस रिपोर्ट में चीन की विकास दर इन वर्षों में क्रमश: 7 और 6.9 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान जताया गया है।

Tuesday 13 January 2015


Dear Users

Date for 1st All India Open Quiz Contest has been extended. Now link for 1st All India Open Quiz Contest will be active till 15th January 2015.


Wednesday 7 January 2015

मंगल पर रहस्यपूर्ण चमक का क्या है राज


अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि क्युरियोसिटी मार्स रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर देखी गई अजीब सी चमक, जीवन का संकेत नहीं है। यह या तो चमकीली चट्टान है, या फिर रोवर के कैमरे की गडबडी है। यूएफओ ब्लॉगर स्कॉट वारनिंग का दावा किया कि कि रोवर द्वारा ली गई नई तस्वीरें बताती हैं कि ग्रह पर बुद्धिमान प्राणी भूमिगत तरीके से रह रहे हैं।
हालांकि नासा ने कहा है कि तस्वीर के परीक्षण में पाया गया कि यह साधरण तौर पर प्रकाश की एक चाल है। मेलऑनलाइन डॉट यूके के मुताबिक नासा एक प्रवक्ता ने बताया,एक संभावना है यह है कि यह प्रकाश सूर्य से परावर्तित हो रही किसी चट्टान की सतह की हो।उन्होंने बताया,जब ये तस्वीरें ली गई थीं तब और प्रकाश बिंदु और सूर्य दोनों रोवर की पश्चिम-उत्तर पश्चिम दिशा की ओर थे। उन्होंने आगे कहा,रोवर विज्ञान की टीम भी यह संभावना को देख रही है कि यह प्रकाश, कैमरे के डिटेक्टर की ओर आकर्षित ब्र±माणीय किरणों के कारण हुआ हो। नासा के इंजीनियरों को मानना है यह चमक कैमरे के वेंट होल के जरिए कैमरे के सेंसरों तक पहुंचे सूर्य के प्रकाश के कारण भी हो सकती है।एजेंसी ने बताया कि क्युरियोसिटी और अन्य मार्स रोवरों के साथ पहले भी ऎसा हो चुका है। जब आने वाले सूर्य के प्रकाश की ज्यामिति कैमरे में हूबहू बन गई हो। क्युरियोसिटी मार्स रोवर दो कैमरों से तस्वीरे लेता है, जिनमें से एक दाहिनी तरफ और दूसरा बांयी तरफ है। दाहिनी ओर से ली गई तस्वीर में प्रकाश है जबकि बाईं ओर के कैमरे की तस्वीर में ऎसा कुछ नहीं है। 

मंगल पर रहस्यपूर्ण चमक का क्या है राज...

Tuesday 6 January 2015

हिमाचल में कैदियों को वीडियो कान्फ्रेसिंग की सुविधा


हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों की सुविधा के लिए देश में संभवत: पहली बार हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ये कैदी अपने परिजनों से वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से मिल पा रहे हैं। इस सुविधा का सबसे ज्यादा लाभ वे कैदी उठा रहे हैं, जिनके रिश्तेदार सरहद के उस पार से लेकर सात समुंदर पार रहते हैं। यहां की जेल में बंद एक कैदी विदेश में रह रही अपनी बेटी से सिर्फ वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से ही मिल पाया है। जबकि दूसरे कैदी भी इस सुविधा का लाभ उठाकर अपने परिजनों का कीमती समय और पैसों की बचत करते हैं। दिलचस्प है कि एक कैदी अपनी नवजात बेटी को पहली बार वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से ही देख पाया। अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) एस.आर. मरदी ने आईएएनएस को बताया, "पिछले डेढ़ सालों में तकरीबन 1,100 वीडियो कान्फ्रेसिंग के अनुरोध प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 55 ब्रिटेन के और 22 फिनलैंड के अलावा दूसरे देशों के थे। (यहां की जेल में कई सारे विदेशी कैद की सजा काट रहे हैं)।" उन्होंने बताया कि 'जेल वार्ता' नाम की इस वीडियो कान्फ्रेसिंग सेवा से किसी कैदी से उसके घर के कई सदस्य मिल सकते हैं। जबकि जेल आकर मिलने वाले मुलाकातियों की संख्या निर्धारित होती है। मरदी के मुताबिक राज्य के सभी छह जेलों में वीडियो चैट की यह सुविधा www.prisons.nic.in नाम के पोर्टल से मुहैया कराई गई है। 

परमाणु युद्ध की आशंका, भारत रहे तैयार



इंटिग्रेटेड डिफेंस स्‍टाफ (आईडीएस) के प्रमुख एयर मार्शल पीपी रेड्डी ने सोमवार को कहा कि भारत को चीन और पा‍किस्‍तान दोनों मोर्चों पर लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही आगाह किया कि उपमहाद्वीप में परमाणु युद्ध की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। उन्‍होंने यह भी कहा कि चीन पाकिस्‍तान को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। बता दें कि पाकिस्‍तान के साथ 1999 में कारगिल युद्ध के बाद एक उच्‍च स्‍तरीय कमेटी की सिफारिश पर आईडीएस का गठन किया गया था। रेड्डी ने कहा, हमारे दोनों पड़ोसी देश परमाणु हथियारों से लैस हैं। आने वाले दिनों में आतंकवादी घटनाओं में वृदि्ध हो सकती है। भारत को दोनों मोर्चों पर सावधान रहने के साथ ही किसी भी तरह के युद्ध के लिए तैयार रहना होगा। उन्‍होंने कहा, चीन हमारे सभी पड़ोसी देशों को हथियारों का निर्यात, उन्‍हें कर्ज और उनके यहां बंदरगाहों का निर्माण कर रहा है। गौरतलब है कि एयर मार्शल का यह बयान ऐसे समय आया है जब नियंत्रण रेखा पर पाकिस्‍तान पिछले कई दिनों से लगातार भारी गोलीबारी कर रहा है।

Monday 5 January 2015

डिल्मा रूसेफ: जेल से राष्ट्रपति भवन तक का सफर



दूसरी बार ब्राजील की राष्ट्रपति बनीं डिल्मा रूसेफ पीएम मोदी के साथ (फाइल फोटो) डिल्मा रूसेफ ने 2 जनवरी 2015 को दूसरी बार ब्राजील के राष्ट्रपति पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने अपनी सरकार की सोशल वेलफेयर स्कीम को आगे बढ़ाने का ऐलान किया, जिससे लाखों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके. डिल्मा रूसेफ का जन्म ब्राजील के दक्षिण-पूर्वी इलाके में 14 दिसंबर 1947 को हुआ था. उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ 1 जनवरी 2011 को ली थी. अपने कड़े तेवरों के कारण 'आयरन लेडी' के नाम से मशहूर डिल्मा रूसेफ कड़ी मेहनत और ईमानदार छवि के चलते आज ब्राजील के राजनीति में सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंच गई हैं, लेकिन यह सफर इतना आसान भी नहीं था. आइये जानते हैं डिल्मा रूसेफ के बारे में खास बातें.... जेल में सहा टॉर्चर डिल्मा 1998 में वर्कर्स पार्टी में शामिल हुईं थीं. उससे पहले वह सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य थीं. उन्होंने पोर्टो अलेग्रे के नगर प्रशासन में भी काम किया. 1964 से 1985 तक ब्राजील में चले मिलिट्री रूल के दौरान उन्होंने सैनिक शासकों के खिलाफ हथियारबंद प्रतिरोध में हिस्सा लिया था, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में उन्हें काफी टॉर्चर सहना करना पड़ा था. 2003 से सत्ता में है डिल्मा की पार्टी सैनिक तानाशाही के दौरान 1980 में गठित लेबर पार्टी राजनीतिक प्रतिरोध का गढ़ बन गई थी. इस पार्टी ने ब्राजील को फिर से लोकतांत्रिक बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई. लुइस इनासियो लूला दा सिल्वा के रूप में पहली बार 2003 में एक मजदूर (वकर्स पार्टी) राष्ट्रपति भवन में पहुंचा और इसके आठ साल बाद 2011 में डिल्मा रूसेफ देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं और यहीं से सत्ता के गलियारों में नए सूरज का उदय हुआ. मंत्रियों पर कड़ी कार्रवाई डिल्मा को अपने पहले कार्यकाल में कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. कई बार तो ऐसा लगा कि सत्ता में उनकी फिर से वापसी नहीं सकेगी, लेकिन उन्होंने कड़े कदम उठाकर डैमेज कंट्रोल किया. डिल्मा की सरकार की छवि एक समय बेहद खराब हो गई थी, लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचार के सभी दाग अपने मंत्रियों को हटाकर धोने की ईमानदार कोशिश की और यही कारण है कि आज वह दूसरी बार राष्ट्रपति चुनी गई हैं. ऐतिहासिक बदलाव डिल्मा के प्रयासों से ब्राजील में घरेलू नौकरों के लिए संविधान में संशोधन किया गया है. इस बदलाव को ऐतिहासिक कहा जा रहा है. संशोधन के जरिए नौकर, दाई, बाई या चौकीदारी का काम करने वाले 60 लाख लोग श्रम कानून के दायरे में लाए गए हैं. अमेरिका को भी दिखाए तेवर डिल्मा ने 2013 में अमेरिका का दौरा रद्द कर दिया था. उस वक्त खुलासा हुआ था कि अमेरिका ने उनकी जासूसी कराई थी, जिसके बाद डिल्मा ने अमेरिका से माफी मांगने को कहा था, जिससे अमेरिका ने इनकार कर दिया था. उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा था, 'मैं यात्रा पर जा रही थी. हमने कहा कि समाधान का एकमात्र रास्ता है. अमेरिका को इस घटना पर माफी मांगनी चाहिए और दोबारा ऐसा न होने का वादा करना चाहिए.' विरोध प्रदर्शनों से ऐसे निपटीं 2013 में हुए जन प्रदर्शनों के बीच डिल्मा रूसेफ ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के लिए कानून पास कराया था. इसके जरिए उन्होंने खनिज तेल से होने वाली आमदनी का 75 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा और 25 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किए जाने की व्यवस्था कराई. तत्काल हालात काबू में करने के लिए उनकी सरकार ने क्यूबा, स्पेन, पुर्तगाल और अर्जेंटीना से 14,000 डॉक्टर भी मंगवाए थे.

देश से बाहर सर्वर रखने वाली वेबसाइटों को ब्लॉक करने में सरकार की सांस फूली



भारत सरकार ने हाल ही में कुछ वेबसाइटों और लिंक्स को ब्लॉक करने का फैसला किया. 32 ऐसी वेबसाइटों का परिचालन भारत में बंद कर दिया गया, जिनपर देश के खिलाफ कंटेंट था या आतंकियों के समर्थन में कुछ था. लेकिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन वेबसाइटों को लेकर है, जिनके सर्वर देश से बाहर हैं. सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी वेबसाइटों के मामले में सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि इनमें से कई वेबसाइटों में कॉन्टैक्ट डिटेल है ही नहीं. इनके मालिक का कुछ पता नहीं है और इनके सर्वर विदेशों में कहीं लगे हैं. एजेंसियां ऐसी वेबसाइटों के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ महसूस कर रही हैं, जिनकी कोई कॉन्टैक्ट डिटेल पता नहीं लग रही है और इनके सर्वर भी अमेरिका या यूरोप में हैं. इन वेबइसाइटों पर धड़ल्ले से देश के खिलाफ अभियान और चर्चा चल रही है, यही नहीं कई आतंकी गुट भी इन पर सक्रिय हैं. भारत सरकार ने कुछ वेबसाइटों और लिंक्स को ब्लॉक करने का फैसला किया. 32 ऐसी वेबसाइटों का परिचालन भारत में बंद हो गया है जो देश के खिलाफ या आतंकियों का समर्थन कर रहीं थीं. इनमें से केवल 7 वेबसाइटों ने सरकारी नोटिस का जवाब दिया और माना कि वे देश के खिलाफ कंटेंट को मान्य नहीं करेंगी. इन वेबइसाइटों के जरिए ISIS से जुडे कंटेंट को प्रचारित किए जाने की शिकायतें मिलने के बाद ये कदम उठाया गया था. इन वेबसाइटों पर सरकारी जांच में सहयोग ना करने का भी आरोप लगा था. इन वेबसाइटों से आपत्त‍िजनक सामग्री हटाने के लिए कहा गया था, जिन्होंने सरकार का आदेश माना उन्हें दोबारा शुरू कर दिया गया और अन्य को भारत में बंद कर दिया गया है. इन 32 वेबसाइट को बंद करने के कदम को लेकर ट्विटर व सोशल मीडिया के दूसरे मंचों पर हो रही आलोचना से बेफिक्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा. सरकार की ओर से यह कार्रवाई उस वक्त की गई, जब यह पाया गया कि देश में अशांति पैदा करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से इन वेबसाइट पर सामग्री पोस्ट की गईं. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इनमें से कुछ वेबसाइट का इस्तेमाल ISIS के कथित सदस्य अरीब मजीद के बारे में सामाग्री का दुष्प्रचार करने व कनार्टक के भटकल के निवासी अनवर हुसैन की मौत के बारे में दुष्प्रचार फैलाने के लिए किया गया. मजीद को एनआईए ने गिरफ्तार किया है. अदालत के आदेश के मद्देनजर विभाग ने इन वेबसाइट की सामाग्री की जांच की और कहा कि ये वेबसाइट सोशल मीडिया वेबसाइट नहीं हैं.

न्यू जर्सी में होगा आगामी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन



अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आयोजन आगामी अप्रैल में न्यू जर्सी में किया जाएगा। आयोजकों ने कहा है कि सम्मेलन की विषयवस्तु 'हिन्दी जगत का प्रसार : संभावनाएं और चुनौतियां' होगी। तीन से पांच अप्रैल के बीच होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हिन्दी के विद्वान एकत्र होंगे और वे हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की मौजूदा स्थिति समेत कई चीजों पर चर्चा करेंगे। सम्मेलन के संचालक अशोक ओझा ने कहा कि- 'सम्मेलन में भाग लेने वाले लोग व्यक्तिगत एवं संस्थागत तौर पर की जाने वाली साझेदारियों और नेतृत्व और क्षमता एवं अवसंरचना निर्माण कौशल आदि के साथ-साथ सामग्री चयन एवं विकास के लिए वित्तीय मदद, शिक्षकों के पेशेवर विकास और स्वयंसेवी प्रबंधन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं।' उन्होंने कहा, 'हम 'उच्च शिक्षा में हिन्दी', 'उद्यम और वाणिज्य में हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ावा', 'हिन्दी के लिए सामुदायिक सहयोग', 'हिन्दी के अध्ययन और अध्यापन की मौजूदा स्थिति' समेत विभिन्न मुद्दों पर सत्र आयोजित करेंगे।' ओझा ने कहा कि सम्मेलन की विषयवस्तु भाषाई शिक्षा (सरकारी एवं निजी), सरकार एवं औद्योगिक समुदायों द्वारा भारत के भीतर और बाहर हिन्दी की गुणवत्ता के विस्तार एवं विकास के लिए समन्वित प्रयासों की बढ़ती जरूरतों को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि यह सम्मेलन सामुदायिक सदस्यों और नेताओं, भाषा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षा प्रबंधकों और अमेरिका, कनाडा, दक्षिणी अमेरिका एवं त्रिनिदाद एंड टोबेगो जैसे कैरीबियाई देशों के साथ भारत के विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करेगा, जहां वे एकसाथ मिलकर अपने विचारों एवं शोधों को साझा कर सकते हैं, विभिन्न अवसरों को जांच सकते हैं, भविष्य के लिए योजनाएं बना सकते हैं, चुनौतियों की पहचान कर सकते हैं और उत्तरी अमेरिकी एवं कैरीबियाई क्षेत्र में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए उपाय ढूंढ़ सकते हैं।

रात्रि पाली में काम करना घटा सकता है आपकी उम्र


लगातार रात्रि पाली में बदल-बदल कर काम करना स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है और इसके कारण फेफड़े का कैंसर और हृदयरोग से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जो आपकी जल्द मौत का भी कारण बन सकती है। एक ताजा शोध में बताया गया है कि पांच या इससे अधिक वर्षो तक बदल-बदल कर रात्रि पाली में काम करने वाली महिलाओं में हृदयरोग से जुड़ी समस्याओं के कारण मृत्युदर बढ़ा पाया गया, जबकि 15 वर्ष से अधिक समय तक काम करने वाली महिलाओं में फेफड़े के कैंसर से मृत्यु होने की दर में इजाफा देखा गया। अध्ययन में महीने में कम से कम तीन पालियां रात में करने वालों को शामिल किया गया। हारवर्ड मेडिकल स्कूल की सहायक प्राध्यापिका इवा शेर्नहैमर ने बताया, "इस शोध के परिणाम रात्रि पाली में काम करने और स्वास्थ्य या लंबी आयु के बीच संभावित हानिकारक संबंधों के पूर्व सबूतों को प्रमाणित करते हैं।" नींद और हमारी दैनिक जैविक क्रियाएं हृदय सर्केडियन सिस्टम दिल के स्वास्थ्य और कैंसर के ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में बेहद अहम होती हैं। इवा ने बताया, "चूंकि दुनियाभर में रात्रि पाली में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है, अत: यह अध्ययन संभवत: दुनिया में सबसे बड़े समूह से संबंधित अध्ययन है।" अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने अमेरिका में नर्सो के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ा रखने वाली संस्था नर्सेज हेल्थ स्टडी (एनएचएस) द्वारा दर्ज 22 वर्ष के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस अमेरिकी संस्था से लगभग 75,000 नर्से पंजीकृत हैं। विश्लेषण में पाया गया कि छह से 15 वर्षो तक बदल-बदल कर रात्रि पाली में काम करने वाली नर्सो की मृत्यु दर 11 फीसदी अधिक रही। इनमें दिल की बीमारी से होने वाली मृत्यु की दर 19 फीसदी अधिक पाई गई। 15 या इससे भी अधिक वर्षो से रात्रि पाली में काम कर करने वाली महिलाओं में फेफड़े के कैंसर से मौत होने का खतरा 25 फीसदी अधिक पाया गया। यह अध्ययन 'अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रीवेंटिव मेडिसिन' के ताजा अंक में प्रकाशित हुआ। 

Saturday 3 January 2015

वैज्ञानिकों ने खोज निकाला कैंसर की कोशिकाओं से निपटने का तरीका



अमरीकी वैज्ञानिकों ने हालिया शोध में विशेष प्रकार का परमाणु खोजा है, जो कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सक्षम होगा। यह परमाणु कैंसर कोशिकाओं के विकास पर लगाम लगाकर उन्हें सिकोड़ेगा। अमरीका के टैक्सस विश्वविद्यालय के उत्तर-पूर्वी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने चुहिया पर प्रयोग कर कैंसर कोशिकाओं के विकास का अध्ययन किया। "6-थायोड जी" का कमाल कैंसर कोशिकाओं पर लगाम लगाने वाले इस परमाणु को वैज्ञानिकों ने "6-थायोड जी" का नाम दिया है। शोध संस्थान के डॉ. जेरी ब्ल्यू शे का कहना है कि यह परमाणु कैंसर कोशिकाओं की विशेष प्रकार की क्रियाविधि को निशाना बनाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में कोशिका की उम्र को भी ध्यान रखा जाता है। दवाओं से लगता है समय वैज्ञानिकों का दावा है कि अब तक विकसित की गई कैंसर दवाओं से इस रोग को खत्म करने में खासा समय लगता है, मगर नए खोजे गए परमाणु से कम समय में इलाज किया जा सकता है। यह शोध कैंसर डिस्कवरी नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया।

vaigyaniko ne khoj nikala kainsar ki