Thursday, 1 January 2015

अब झूठ बोलकर पॉलिसी बेची तो फंसेगी कंपनी


लंबे इंतजार और खासी ऊहापोह के बाद आखिरकार नरेंद्र मोदी सरकार बीमा अध्यादेश ले ही आई है और उसके जरिये बीमा क्षेत्र में ऐसे कई सुधारों को अमली जामा पहनाया जा रहा है, जिनकी दरकार बहुत अरसे से बताई जा रही थी। वित्त मंत्रालय इसे लेकर बहुत उत्साहित है क्योंकि इसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी कर दी गई है, जो अभी तक 26 फीसदी ही थी। जाहिर है कि ऐसे में विदेशी बीमा कंपनियां यहां आएंगी और भारी मात्रा में डॉलर भी इधर का रुख करेंगे। बहरहाल यह तो अर्थनीति की बातें हैं, जिनसे अक्सर आम आदमी को कम सरोकार ही होता है। उसके लिए तो अहम यह है कि सरकार के इस कदम से उसे क्या फायदा होने जा रहा है। यह सवाल मौजूं भी है क्योंकि बीमा पॉलिसी ही ऐसा जाल होता है, जिसमें निकलना अक्सर लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। एक बार गलत पॉलिसी लेने के बाद कई बार लोग पछताते हैं, लेकिन बाहर नहीं निकल पाते। बहरहाल बीमा कानून में जो बदलाव इस अध्यादेश के जरिये किए गए हैं, उनसे आपको कम पेचीदगियों और अधिक पारदर्शिता वाली बीमा पॉलिसी मिलने जा रही है। आपको बीमा एजेंट पर कम से कम निर्भर रहना पड़ेगा और प्रीमियम के भुगतान में भी आपको खासी ढील मिल जाएगी। सबसे अहम बात है कि इसमें आपको बहकावा देकर गलत पॉलिसी नहीं बेची जा सकती और पॉलिसी के दावे का निपटारा भी जल्द होगा। आइए देखते हैं कि यह सब कैसे होगा। गलत पॉलिसी बेचना मुमकिन नहीं सबसे पहला और बड़ा फायदा तो यह है कि बीमा कंपनी अथवा एजेंट अब आपको बहका नहीं सकते। अभी तक ज्यादा से ज्यादा ग्राहक पटाने और अपना कारोबार बढ़ाने के फेर में कंपनियां यह नहीं देखती थीं कि उनके एजेंट किस तरह से पॉलिसी बेच रहे हैं। एजेंट भी प्रीमियम के लालच में अक्सर झूठ बोलकर पॉलिसी बेचा करते थे। इसका अंदाजा ग्राहक को तब होता था, जब वह दावा करने जाता था और उसे बैरंग लौटा दिया जाता था। अक्सर ऐसे मामले अदालतों में फंसे रहते थे, लेकिन बीमा कानून में ऐसी कंपनियों के खिलाफ सख्त प्रावधान कर दिए गए हैं। अब अगर यह साबित हो जाता है कि किसी एजेंट ने झूठ बोलकर पॉलिसी बेची है अथवा आचार संहिता का उल्लंघन किया है तो एजेंट के बजाय कंपनी की ही गर्दन पकड़ ली जाएगी। संशोधन के बाद बनने वाले कानून के तहत ऐसी कंपनी पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसी तरह अगर एजेंट पॉलिसी खरीदने वाले को रिश्वत देते हैं तो कंपनी पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। जाहिर है कि ऐसी सूरत में कंपनियां खुद ही एजेंटों की हरकतों पर लगाम कसेंगी और आपको पारदर्शी तरीके से पॉलिसी मिलेंगी। दावा नहीं होगा खारिज मौजूदा कानून के मुताबिक पॉलिसी खरीदने के दो साल बाद अगर आप दावा करते हैं तो कंपनी उसे खारिज नहीं कर सकती, लेकिन कंपनी अगर यह साबित कर देती है कि आपका दावा खारिज कर दिया जाएगा और आपको एक पाई भी नहीं मिलेगी। बहरहाल नए बीमा कानून की धारा 45 में कहा गया है कि बीमा पॉलिसी खरीदने के तीन साल बाद आपका दावा किसी भी सूरत में खारिज नहीं किया जा सकता। जानकार बताते हैं कि ऐसी सूरत में कंपनियों को फर्जी दावों का भी निपटारा करना होगा, जिससे ईमानदार लोगों के लिए प्रीमियम बढ़ सकता है, लेकिन इससे सही दावा करने वाले को फायदा होगा क्योंकि कंपनी जानबूझकर उसके दावे को खारिज नहीं कर सकेगी। एजेंट को अंधाधुंध कमीशन नहीं एजेंटों को झूठ बोलकर पॉलिसी बेचने से रोकने के लिए इस कानून में उनके कमीशन की अधिकतम सीमा भी तय कर दी गई है। अभी तक कुछ खास पॉलिसियों मसलन यूलिप आदि को बेचने पर कंपनियां एजेंट को अंधाधुंध कमीशन देती थीं क्योंकि उन पॉलिसियों में कंपनियों को खासा फायदा होता था। ऐसी सूरत में अक्सर शुरुआती तीन साल तक ग्राहक के प्रीमियम का बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में कट जाता था, लेकिन अब एजेंटों के लिए कमीशन की सीमा तय कर दी गई है और कोई कंपनी उससे अधिक कमीशन नहीं दे सकती। ऐसे में आप निश्चिंत हो सकते हैं कि एजेंट आपको कोई गलत पॉलिसी नहीं बेचेंगे क्योंकि उनका कमीशन बढऩे नहीं जा रहा। पॉलिसी का हस्तांतरण हमारे देश में बीमा पॉलिसी अपने या परिवार के लिए ली जाती है और उसका फायदा वे लोग ही उठा पाते हैं, लेकिन बदले हुए कानून के तहत आप अपनी पॉलिसी किसी अन्य व्यक्ति के नाम ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके लिए आपको ट्रांसफर करने की वजहें बतानी होंगी। अगर बीमा कंपनी आपकी बताई वजहों से सहमत होती है तो बीमा पॉलिसी पर उस व्यक्ति का अधिकार हो जाता है। वह पॉलिसी पर कर्ज ले सकता है और जब चाहें पॉलिसी को सरेंडर भी कर सकता है। शिकायतों का निपटारा बीमा कंपनियों के खिलाफ शिकायत होने पर अक्सर ग्राहकों को जहां-तहां भटकना पड़ता है या उन्हें पता नहीं होता कि शिकायत करने का सही मंच क्या है। कानून में बदलाव के साथ ही सरकार ने आपको मंच भी मुहैया करा दिया है। इसमें स्वतंत्र शिकायत निपटारा प्राधिकरण बनाने की बात है, जिसके पास दीवानी अदालत के बराबर ताकत होगी।

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