Monday, 5 January 2015

डिल्मा रूसेफ: जेल से राष्ट्रपति भवन तक का सफर



दूसरी बार ब्राजील की राष्ट्रपति बनीं डिल्मा रूसेफ पीएम मोदी के साथ (फाइल फोटो) डिल्मा रूसेफ ने 2 जनवरी 2015 को दूसरी बार ब्राजील के राष्ट्रपति पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण के बाद उन्होंने अपनी सरकार की सोशल वेलफेयर स्कीम को आगे बढ़ाने का ऐलान किया, जिससे लाखों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके. डिल्मा रूसेफ का जन्म ब्राजील के दक्षिण-पूर्वी इलाके में 14 दिसंबर 1947 को हुआ था. उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ 1 जनवरी 2011 को ली थी. अपने कड़े तेवरों के कारण 'आयरन लेडी' के नाम से मशहूर डिल्मा रूसेफ कड़ी मेहनत और ईमानदार छवि के चलते आज ब्राजील के राजनीति में सबसे ऊंचे मुकाम पर पहुंच गई हैं, लेकिन यह सफर इतना आसान भी नहीं था. आइये जानते हैं डिल्मा रूसेफ के बारे में खास बातें.... जेल में सहा टॉर्चर डिल्मा 1998 में वर्कर्स पार्टी में शामिल हुईं थीं. उससे पहले वह सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य थीं. उन्होंने पोर्टो अलेग्रे के नगर प्रशासन में भी काम किया. 1964 से 1985 तक ब्राजील में चले मिलिट्री रूल के दौरान उन्होंने सैनिक शासकों के खिलाफ हथियारबंद प्रतिरोध में हिस्सा लिया था, जिसकी वजह से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में उन्हें काफी टॉर्चर सहना करना पड़ा था. 2003 से सत्ता में है डिल्मा की पार्टी सैनिक तानाशाही के दौरान 1980 में गठित लेबर पार्टी राजनीतिक प्रतिरोध का गढ़ बन गई थी. इस पार्टी ने ब्राजील को फिर से लोकतांत्रिक बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई. लुइस इनासियो लूला दा सिल्वा के रूप में पहली बार 2003 में एक मजदूर (वकर्स पार्टी) राष्ट्रपति भवन में पहुंचा और इसके आठ साल बाद 2011 में डिल्मा रूसेफ देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं और यहीं से सत्ता के गलियारों में नए सूरज का उदय हुआ. मंत्रियों पर कड़ी कार्रवाई डिल्मा को अपने पहले कार्यकाल में कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. कई बार तो ऐसा लगा कि सत्ता में उनकी फिर से वापसी नहीं सकेगी, लेकिन उन्होंने कड़े कदम उठाकर डैमेज कंट्रोल किया. डिल्मा की सरकार की छवि एक समय बेहद खराब हो गई थी, लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचार के सभी दाग अपने मंत्रियों को हटाकर धोने की ईमानदार कोशिश की और यही कारण है कि आज वह दूसरी बार राष्ट्रपति चुनी गई हैं. ऐतिहासिक बदलाव डिल्मा के प्रयासों से ब्राजील में घरेलू नौकरों के लिए संविधान में संशोधन किया गया है. इस बदलाव को ऐतिहासिक कहा जा रहा है. संशोधन के जरिए नौकर, दाई, बाई या चौकीदारी का काम करने वाले 60 लाख लोग श्रम कानून के दायरे में लाए गए हैं. अमेरिका को भी दिखाए तेवर डिल्मा ने 2013 में अमेरिका का दौरा रद्द कर दिया था. उस वक्त खुलासा हुआ था कि अमेरिका ने उनकी जासूसी कराई थी, जिसके बाद डिल्मा ने अमेरिका से माफी मांगने को कहा था, जिससे अमेरिका ने इनकार कर दिया था. उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा था, 'मैं यात्रा पर जा रही थी. हमने कहा कि समाधान का एकमात्र रास्ता है. अमेरिका को इस घटना पर माफी मांगनी चाहिए और दोबारा ऐसा न होने का वादा करना चाहिए.' विरोध प्रदर्शनों से ऐसे निपटीं 2013 में हुए जन प्रदर्शनों के बीच डिल्मा रूसेफ ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी के लिए कानून पास कराया था. इसके जरिए उन्होंने खनिज तेल से होने वाली आमदनी का 75 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा और 25 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किए जाने की व्यवस्था कराई. तत्काल हालात काबू में करने के लिए उनकी सरकार ने क्यूबा, स्पेन, पुर्तगाल और अर्जेंटीना से 14,000 डॉक्टर भी मंगवाए थे.

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