Tuesday, 16 August 2016

क्या है चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, जानिए इससे जुड़ी 10 खास बातें



चीन ,पाकिस्तान के साथ मिलकर चीन -पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बनाने योजना पर अमल की तैयारी में जुटा है।इस कॉरिडोर पर भारत के विरोध के बावजूद चीन पीछे हटने को तैयार नहीं है।

सीपीईसी को लेकर सुषमा स्वराज ने जताया था विरोध
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा सीपीईसी को लेकर चीन के विदेश मंत्री से कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी। इस कॉरिडोर को लेकर कई सवाल भारत ने उठाए थे।
बावजूद इसके चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है।आखिर इस कॉरिडोर के बन जाने से ऐसा क्या होगा जिससे चीन इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना चाहता है। आखिर चीन के इस मुद्दे पर आगे बढ़ने की वजह क्या है? जानिए अहम बातें...

चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर से जुड़ी 10 अहम बातें...

1-     इस कॉरिडोर से कई बिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट की उम्मीद है। सीपीईसी के बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं के जरिए 46 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद है।

2-     इस प्रोजेक्ट की शुरूआत 2015 में हुई थी। अगर ये पूरा होता है तो इसके जरिए तीन हजार किलोमीटर के सड़क नेटवर्क तैयार के साथ-साथ रेलवे और पाइपलाइन लिंक भी पश्चिमी चीन से दक्षिणी पाकिस्तान को जोड़ेगा।

3-     सीपीईसी, चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और 21वें मेरीटाइम सिल्क रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा है। चीन की योजना इन दोनों विकास योजनाओं को एशिया और यूरोप के देशों के साथ मिलकर आगे बढ़ाने की है।

4-     चीन द्वारा बनाया जा रहा ये कॉरिडोर बलूचिस्तान प्रांत से होकर गुजरेगा, जहां दशकों से लगातार अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं। इसके साथ-साथ गिलगिट-बल्टिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का इलाका भी शामिल है।

5-     पाकिस्तान को उम्मीद है कि दो हिस्सों में बनने वाले इस प्रोजक्ट के जरिए उन्हें वित्तीय विकास और ऊर्जा उत्पादन में सहायता मिलेगी। वास्तव में इस कॉरिडोर के जरिए पाकिस्तान में 35 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट होगा, इनमें कोयला और एलएनजी आधारित थर्मल ऊर्जा प्रोजक्ट शामिल हैं।

6-     जानकारी के मुताबिक चीन को उम्मीद है कि इस कॉरिडोर के जरिए वह अपनी ऊर्जा को तेजी से फारस की खाड़ी तक पहुंचा सकता है। वहीं, कॉरिडोर के जरिए पश्चिमी चीन में वित्तीय विस्तार मिलने की उम्मीद है, जो कि बंद इलाका है। इसके साथ-साथ चीन की योजना अपने गिलगिट-बल्टिस्तान में अपने पैर जमाने की है, जहां लगातार अलगाववादी आंदोलन हो रहे हैं।

7-     सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों की सुरक्षा के लिए करीब 17 हजार पाकिस्तानी सैनिक तैनात किए गए हैं। ये हाल अप्रैल से पहले का था लेकिन अप्रैल के बाद चार हजार और पाकिस्तानी सैनिकों की चीनी अधिकारियों की सुरक्षा में पाकिस्तान ने लगाए गए हैं। खास तौर पंजाब प्रांत में उनकी सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया है।

8-     पाकिस्तान और चीन उपग्रह के जरिए सीपीईसी प्रोजेक्ट पर नजर रखेंगे। ये प्रोजेक्ट जून 2018 में लॉन्च किए जाने की उम्मीद है।

9-     अगस्त में गिलगिट-बल्टिस्तान और पीओके लोगों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। उनका आरोप है कि दोनों देश अपने फायदे के लिए इस इलाके के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इस योजना में चीन के कामगारों को लगाया गया है, जबकि स्थानीय युवा बेरोजगार हैं।

10-सीपीईसी परियोजना के तहत चीन पीओके के रास्ते ग्वादर पोर्ट को सड़क, रेलवे और पेट्रोलियम पाइपलाइनों के मिले-जुले नेटवर्क से जोड़ने योजना बना रहा है।



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