Thursday, 4 June 2015

भारत और अमेरिका के बीच 10 साल का रक्षा समझौता



आपसी रक्षा समझौतों को नई शुरुआत देते हुए भारत और अमेरिका ने बुधवार को 10 साल के रक्षा फ्रेमवर्क समझौते पर दस्तखत किए. इसके तहत दोनों देश जेट इंजन, एयरक्राफ्ट बैरियर के डिजाइन और निर्माण समेत रक्षा उपकरणों का मिलकर उत्पादन और विकास करेंगे. दोनों पक्षों ने दो परियोजना समझौतों को भी आखिरी रूप दिया है. इसके तहत हाईटेक मोबाइल ऊर्जा स्रोत और रसायनिक एवं जैविक युद्ध के लिए अगली पीढ़ी के रक्षात्मक सूट विकसित किए जाएंगे. इस समझौते पर फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की जनवरी में भारत यात्रा के दौरान हुआ था. यह समझौता समुद्री सुरक्षा, विमानवाहक पोत से लेकर जेट इंजन प्रौद्योगिकी सहयोग के मुद्दों पर केंद्रित है. इस समझौते पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और भारत दौरे पर आए अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने हस्ताक्षर किए. रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, रक्षा मंत्री और सचिव कार्टर ने भारत-अमेरिका रक्षा संबंध रूपरेखा 2015 पर हस्ताक्षर किया जो पूर्ववर्ती रूपरेखा और कामयाबियों से आगे बढ़ेगा और द्विपक्षीय और रणनीतिक साझेदारी को अगले 10 साल के लिए निर्देशित करेगा. बयान में कहा गया है कि नया रूपरेखा समझौता उच्च स्तर की रणनीतिक चर्चाओं के लिए नयी ऊंचाइयां प्रदान करेगा. दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच अदान प्रदान तथा रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेगा. सह-विकास और सह-उत्पादन पर सहमति इसके अलावा पर्रिकर और कार्टर ने जेट इंजन, विमानवाहक डिजाइन और निर्माण पर चर्चाओं को तेज करने पर सहमति जताई. बयान में कहा गया कि भारत और अमेरिका दोनों ने मोबाइल इलेक्ट्रिक हाइब्रिड पावर सोर्सेज और नेक्स्ट जेनरेशन प्रोटेक्टिव इंसेम्बल्स के संयुक्त विकास के लिए दो परियोजना समझौतों को अंतिम रूप दिया है. दोनों पक्षों ने सह-विकास और सह-उत्पादन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई जो अमेरिकी रक्षा उद्योगों को 'मेक इन इंडिया' के तहत भारतीय उद्योगों के साथ साझेदारी बनाने का सुनहरा मौका प्रदान करेगा. कार्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की और रणनीतिक एवं रक्षा हित बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.

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