Saturday 20 December 2014

दिमाग चाहिए दुरूस्त तो सीमित रखें मोबाइल पर बातें


आमतौर पर मोबाइल लंबी दूरियों वाले रिश्तेदारों और प्रियजनों के लिए अहम हो गया है। इसने ट्रंक कॉल का नामोनिशान तथा लंबे खर्चे को भुला दिया है, पर अनजाने में मोबाइल पर होने वाली लंबी बातों का सिलसिला दिमागी विकार को जन्म दे रहा है। जर्नल "पैथो-साइकोलॉजी" में प्रकाशित एक अध्ययन स्वीडन में किया गया, जिसमें मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर से पीडितों के मोबाइल पर बात करने की अवधि का आकलन किया गया। एक नए अध्ययन ने खुलासा किया है कि मोबाइल पर समय तथा वर्षो के सापेक्ष में बातें करना, एक प्रकार के खतरनाक ब्रेन कैंसर ग्लिओमा को विकसित कर सकता है। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जो व्यक्ति 25 साल से अधिक सेल या कॉर्डलैस फोन पर बातें कर रहे हैं, वे इसका इस्तेमाल न करने वाले या एक वर्ष से भी कम समय के लिए इसका उपयोग करने वालों की अपेक्षा तीन गुना अधिक ब्रेन ट्यूमर विकसित करते हैं। इस अध्ययन में मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर वाले 1380 मरीजों की तुलना ऎसे ट्यूमरों के बिना वाले लोगों से की गई थी तथा उनके फोन इस्तेमाल का आकलन किया गया। इस अध्ययन में वायरलैस फोन का ग्लिओमा के अलावा मैलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर के मध्य कोई संबंध नहीं पाया गया है। यह अध्ययन स्वीडन स्थित ओरेब्रो की यूनिवर्सिटी हॉस्पीटल में किया गया था, जो जर्नल "पैथोसाइकोलॉजी" में प्रकाशित हुआ है। 

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